
दीपावली के पावन पर्व पर लोकल फॉर वोकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंत्र हो रहा चरितार्थ।
रीवा । भारत ही एक ऐसा देश है जिसे भारत माता कहा जाता है। हमारा देश माटी को भी माता की ही तरह पूजता है। देश की सनातन और वैदिक परंपरा में पूजा, हवन, यज्ञ, विवाह आदि सभी मांगलिक कार्यों में मिट्टी के बने बर्तनों और दीपों का उपयोग किया जाता है। आज हर शहर, हर गांव के घर-घर में बिजली पहुंचने के बाद घरों में बिजली के बल्वों से सजावट की जाती है, लेकिन घर में मिट्टी से बने 25 दीपक अवश्य रखे जाते हैं। पूजा घर में देव प्रतिमाओं के समक्ष मिट्टी के दीप में ही घी के दिये जलाए जाते हैं। तुलसी माता के चबूतरे, कुलदेवताओं के कक्ष तथा पेयजल स्त्रोत पर भी पूरे कार्तिक माह मिट्टी से बने दीपक जगमगाते हैं। नवरात्रि पर्व से ही मिट्टी के बर्तनों की बिक्री शुरू हो जाती है। रीवा जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी मिट्टी के कलश और दीपकों की अच्छी बिक्री होती है। आसपास गांवों के मिट्टी के बर्तन बनाने वाले शिल्पी शहरों में डेरा जमाकर महीने भर मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं। इनमें सर्वाधिक बिक्री माटी के दीपों की होती है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लोकल फॉर वोकल के मंत्र को माटी के बर्तन बनाने वाले चरितार्थ कर रहे हैं। शशि प्रजापति निवासी रीवा 15 दिनों से मिट्टी के बर्तन बेच रही हैं। इसी तरह ग्राम महसांव के गिरधारी प्रजापति भी रीवा में आकर मिट्टी के बर्तन बेच रहे हैं। उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ के रहने वाले विकास प्रजापति कई वर्षों से दीवाली के समय रीवा आकर माटी के दीपक और अन्य बर्तन बेचते हैं। उन्होंने आमजनता से मिट्टी के बर्तनों के उपयोग की अपील की है। रीवा के ही रामनरेश कुमार भी माटी के बर्तन बेचकर पूजा घरों को रोशनी देने के साथ अपने घर में समृद्धि की दीवाली मनाएंगे। समाज में तेजी से शहरीकरण होने के बावजूद अभी भी प्राचीन परंपराओं से लगाव बना हुआ है। हर घर में माटी के दीपक अवश्य जलाये जाते हैं। इन दीपकों से हमारे घरों में उजाला होने के साथ हजारों गरीब परिवारों के घरों में भी सुख और समृद्धि का उजाला होता है।
माटी के दिये बेचने वालों को नहीं लगेगा प्रवेश शुल्क तथा बाजार बैठकी – कलेक्टर रीवा।
आमजन मिट्टी के दीपक तथा अन्य बर्तनों का उपयोग करें – कलेक्टर
रीवा । नवरात्रि से लेकर दीपावली एवं देव प्रबोधनी एकादशी तक के त्यौहार एवं पर्वों में मिट्टी से बने दीपों का उपयोग पूजन में किया जाता है। दीपावली की जगमगाहट भी मिट्टी के दीपकों से ही होती है। माटी से बने दीपक हमारे घर को रोशनी से जगमग करने के साथ गरीब परिवार की आजीविका का साधन भी बनते हैं। दीपक तथा मिट्टी के बने अन्य बर्तन जैसे कुल्हड़, मटके, गमले आदि पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने आमजनता से दीपावली तथा अन्य त्यौहारों में मिट्टी के दीपकों के उपयोग की अपील की है। साथ ही कलेक्टर ने नगरीय निकायों को माटी के दिये बेचने वालों से प्रवेश शुल्क अथवा बैठकी वसूल न करने के आदेश दिए हैं। मिट्टी के दीपक एवं अन्य माटी से बनी सामग्री बेचने वालों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर ने इन पर किसी तरह का टैक्स न लगाने के आदेश दिए हैं। कलेक्टर ने कहा है कि नगर निगम, नगर पंचायतें तथा ग्राम पंचायतें एवं पुलिस विभाग मिट्टी के दीपक एवं अन्य बर्तन बनाने वालों को सहयोग करें। नगरीय निकाय एवं ग्राम पंचायतें इनसे किसी तरह का प्रवेश शुल्क, बाजार बैठकी आदि की वसूली न करें। स्थानीय वस्तुओं के उत्पाद एवं बिक्री को बढ़ावा देने तथा गरीबों के कल्याण में सहयोग के लिए ऐसा करना आवश्यक है। इस आदेश का हर हाल में पालन सुनिश्चित करें